It’s not Anna Hazare with Modi Ji.
False: An old photo of PM Modi claiming to be with Anna Hazare.
Truth: No, he is not Anna Hazare, he is an unknown Guru of Modi ji.
Lie:
Truth: http://www.bbc.com/hindi/india/2014/05/140516_modi_guru_tk
नरेंद्र मोदी की सफलता का श्रेय अमित शाह और राजनाथ सिंह जैसे सहयोगियों को दिया जा रहा है लेकिन बहुत कम लोग नरेंद्र मोदी के असली गुरू के बारे में जानते हैं, जिन्होंने मोदी को वो छवि प्रदान की जिसकी वजह से वह आज जाने जाते हैं.
क़रीब बीस साल तक गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रहे लक्ष्मण राव ईनामदार ने मोदी की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें तराशा.
1960 से 1980 के बीच गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक को घर-घर तक पहुंचाने का अभियान चलाने वाले लक्ष्मण ईनामदार को आरएसएस में ‘वकील साहब’ के नाम से जाना जाता था क्योंकि उन्होंने वकालत की पढ़ाई की थी.
सान्निध्य
1967 में मोदी पहली बार वकील साहब के संपर्क में आए और जब 1970 के दशक में मोदी पूरी तरह सक्रिय हुए तो उन्हें अपने गुरु से काफ़ी कुछ सीखने को मिला.
गुजरात में वकील साहब ने संघ की अनेक शाखाएं शुरू कीं. वडनगर क़स्बे में उनकी शाखा में पहली बार जब नरेंद्र मोदी गए, तब उनकी उम्र सिर्फ़ आठ साल थी.
नरेंद्र मोदी ने 2008 में एक किताब लिखी ‘ज्योतिपुंज’, जिसमें उन्होंने गुमनाम रहकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम करने वाले लोगों के बारे में लिखा है.
गुजराती में छपी इस किताब में मोदी ने वकील साहब को बहुत आदर के साथ याद किया है.
नरेंद्र मोदी के पुराने दिनों के दोस्त और अब भी भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई में सक्रिय परिंदु भगत कहते हैं, “नरेंद्र मोदी ने अनुशासित जीवन जीना और लोगों से मेलजोल का तौर-तरीक़ा सब कुछ वकील साहब से सीखा है.”
परिंदु बताते हैं कि 1960 के दशक के अंतिम वर्षों में उन्हें आरएसएस की कई ज़िम्मेदारियां उनके गुरू ने सौंपी. जैसे-जैसे मोदी काम करते गए, वकील साहब का भरोसा भी बढ़ता गया.
परिंदु एक दिलचस्प घटना याद करते हैं, “वकील साहब ने नरेंद्र मोदी को तीन दिन का सम्मेलन कराने की ज़िम्मेदारी सौंपते हुए रुपयों की एक थैली दी थी. जब कुछ दिन बाद उन्होंने मोदी से हिसाब मांगा, तो उन्होंने अपने गुरु को बंद थैली वापस कर दी और कहा कि इसे ख़र्च करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी, मैंने ख़ुद प्रबंध कर लिया.”
ईनामदार महाराष्ट्र में पैदा हुए थे और बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक बन गए थे. 1983 में उनकी मृत्यु कैंसर से हो गई.
नरेंद्र मोदी ने अपने गुरु की याद में अहमदाबाद में एक स्कूल खुलवाया है.
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