के.ई.एम हॉस्पिटलमध्ये पक्षघात | के.ई.एम हॉस्पिटल में लकवा के इलाज की वायरल खबर फर्जी है |
सोशल मीडिया पर इन दिनों 3 साल पुरानी पोस्ट वायरल हो रही है जो कि फ़ेसबुक और ट्विटर पर तो वायरल है ही पर वायरल होने की जड़ “व्हाट्सएप” फिर आग की तरह फैल गई है ।
वारयल पोस्ट मराठी में है जिसमें कहा गया है कि “के.ई.एम. अस्पताल में पैरालाइसिस/लकवा की बीमारी एक ऑटोमैटिक द्वारा मरीज को कुछ ही घंटों में पहले की तरह ठीक करती है, मस्तिष्क में जो गाँठ है वह इस मशीन की सहायता एंजियोप्लास्टी की तरह निकाल दी जाती है, यह सुविधा भारत में सबसे पहले इस अस्पताल में उपलब्ध हो गई है। दुनिया भर में केवल कुछ ही ऐसी मशीने हैं, डॉ नितीन जी डांगे यह मशीन चलाने/इस्तेमाल के लिए जगप्रसिद्ध हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा इस मशीन का उद्धघाटन व लोकार्पण किया गया है । जानकारी सभी को बताएं फायदा होगा ।। Forwarded as received..
वायरल पोस्ट केवल व्हाट्सएप और फेसबुक तक ही सीमित नहीं रही बल्की ट्विटर पर भी मिली ।
के.ई.एम. हॉस्पिटलमध्ये पक्षघात (प्यारालेसीस /लकवा) या आजारावर ऑटोमॅटिक या मशीन द्वारे काही तासातच रुग्ण पूर्ववत बरा होतो, मेंदूच्या गाठी या मशीनच्या सहाय्याने एन्जोप्लाष्टी प्रमाणे काढुन टाकल्या जातात, तसेच भारतात प्रथम याच हॉस्पिटलमध्ये ही सुविधा उपलब्ध झाली आहे… pic.twitter.com/oiUIIo50j8
— मनोज चाळके (@manoj_chalke) May 17, 2019
के.ई.एम.हॉस्पिटलमध्ये पक्षघात (प्यारेलेसीस/लकवा )या आजारावर अँटोमॅटिक मेंदूच्या गाठी या मशीनच्या सहाय्याने एन्जोप्लाष्टी प्रमाणे काढुन टाकल्या जातात या मशीनीचे उद्घाटन मा. श्री ऊद्धव साहेब ठाकरे यांच्या हस्ते झाले.
— Adv.Pankaj Gore🎓🚩 (@panksthecool) November 3, 2018
प्यारेलेसीसचा झटका आल्या नंतर 24 तासाच्या आत रुग्णाला ऍडमिट करावे pic.twitter.com/fHXcBKipke
हे आहे #शिवसेनेचे_कार्य..🏹🚩
— Vinod Vijay Shigvan🇮🇳 (@VinodShigvan_) November 3, 2018
भारतात प्रथमच के.ई.एम.हॉस्पिटलमध्ये पक्षघात (प्यारेलेसीस/लकवा )या आजारावर अँटोमॅटिक मेंदूच्या गाठी या मशीनच्या सहाय्याने एन्जोप्लाष्टी प्रमाणे काढुन टाकल्या जातात या मशीनीचे उद्घाटन #शिवसेनापक्षप्रमुख_श्री_उद्धव_साहेब_ठाकरे यांच्या शुभहस्ते झाले. pic.twitter.com/yQnhYvVNQn
TRUTH
लकवा मारने के २४ घंटे अंदर ही यदि अस्पताल पहुंचेंगे तो इलाज संभव है ,लकवे की पुरानी बीमारी का इलाज संभव नहीं है |
तीन साल पहले यानी 2018 कि यह पोस्ट मानो आग की तरह फैलने लगी और बात यहाँ तक पहुँच गई कि लोग के.ई.एम अस्पताल पहुंचने लगें और कुछ लोग डॉ डांगे जी को फोन करके पूछने भी लगें । खबर देश विदेश में फैली तो डॉ डांगे जी को लोगों ने ख़बर की असलियत बताई ।
” व्हाट्सएप पर मैसेज मिला कि ” लकवा के मरीजों के लिए जीवनदान अस्पताल द्वारा लाई गई मशीन से इलाज संभव” तो मुंबई के परेल स्थित KEM अस्पताल में कुछ दिनों से लकवा के मरीज व उनके परिजन जाने लगे और जाने पर पता लगा कि मैसेज भ्रामक था ।”
वर्ष 2018 ऑक्टोबर महीने के पहले BMC द्वारा संचालित KEM अस्पताल ने 8.5 करोड़ में Biplane Digital Substraction Angiography खरीदी । यह मशीन स्ट्रोक के कुछ मरीजों ( जिन्हें स्ट्रोक हुआ है और वे 24 घण्टे के अंदर अस्पताल पहुंचे) में खून की गाँठ को आर्टरी और वेन में से हटाकर इलाज में मदद कर सकती है ।
खबर वायरल होने के बाद वर्षों पुराने लकवा से ग्रसित मरीज इस गलतफहमी में अस्पताल पहुँचने लगें की उनका इलाज भी हो जाएगा जबकि असल में ऐसा कुछ नही था ।
Dr Nitin Dange ( Senior Neurosurgeon , KEM Hospital ) जी को 29 ऑक्टोबर सुबह 6.30 बजे एक मरीज का फोन आया (जिसे 5 साल पहले लकवा मार चुका था)कि वे Paralysis Treatment के लिए अस्पताल पहुँच गए हैं। Dr Dange ने उन्हें बताया कि मशीन पुराने लकवे का इलाज नही सकेगी पर मरीज नही माना, डॉ से मिलने की जिद्द की क्योंकि उन्हें व्हाट्सएप पर मैसेज मिला था ।
Mumbai Mirror 3 नवंबर 2018
Whatsapp rumour of “paralysis cure” sends patients haring to KEM<